शिव मंत्र
Shiv Mantra

ॐ नमः शिवाय॥
Om Namah Shivaya॥

अर्थ : ” हे शिव , मै आपको बार बार नमन करता हूँ ” भगवान शिव का यह मूल मंत्र सबसे सरल और सबसे लोकप्रिय मंत्र है | और इस मंत्र का उच्चारण कोई भी व्यक्ति कर सकता है | इस मंत्र के उच्चारण के लिए कोई विशेष स्थान या फिर विशेष समय की आवश्यकता नही है | दिखने में यह मंत्र बहुत ही सरल और छोटा प्रतीत होता है किन्तु शिवमहापुराण में दर्शाया गया है कि इस मंत्र के महात्म्य का विस्तार से वर्णन 100 करोड़ वर्षो में भी नहीं किया जा सकता है | इस मंत्र को सभी वेदों का सार तत्व भी माना गया है |

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushti-Vardhanam
Urvarukamiva Bandhanan Mrityormukshiya Mamritat॥

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
त्रयंबकम- त्रि.नेत्रों वाला ;कर्मकारक।
यजामहे- हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं। हमारे श्रद्देय।
सुगंधिम- मीठी महक वाला, सुगंधित।
पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति, फलने वाला व्यक्ति। जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम- वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है।
उर्वारुक- ककड़ी।
इवत्र- जैसे, इस तरह।
बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।
मृत्यु- मृत्यु से
मुक्षिया, हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें।
मात्र न
अमृतात- अमरता, मोक्ष।

महामृत्युंजय मंत्र का सरल अनुवाद
इस मंत्र का मतलब है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं।

रुद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
Om Tatpurushaya Vidmahe Mahadevaya Dhimahi
Tanno Rudrah Prachodayat॥

यह शिव गायत्री मंत्र है, जिसका जप करने से मनुष्य का कल्याण संभव है। शिव गायत्री मंत्र का जप प्रत्येक सोमवार को करना चाहिए। शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार से उपवास रखते हुए इस मंत्र का आरंभ करना चाहिए। श्रावण मास में सोमवार को शिव गायत्री मंत्र का जप विशेष शुभ फलदायी माना गया है। शिव गायत्री मंत्र का जप करके शिवलिंग पर गंगा जल, बेलपत्र, धतूरा, चंदन, धूप, फल, पुष्प आदि श्रद्धा भाव से अर्पित करने से शिव एवं शक्ति दोनों की ही कृपा मिलती है।

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