देकर शरण भोले अपने में समा लेना

बरपा है केहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर शरण अपनी अपने में समा लेना……..

कही धरती डोले है, कही अंबर है बरसे,
तुमसे मिलने को भोले मिलने ना दे करते,
मुश्किल बड़ी राहें है, रस्ता भी दिखा देना,
बरपा है केहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर शरण अपनी अपने में समा लेना……..

दर दर क्यों भटकु मैं, कुछ मुझमे कमी होगी,
अपनी सेवक रखलो, कदमो में जमीन होगी,
हलातों से लड़ लड़कर, जीना भी सीखा देना,
बरपा है केहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर शरण अपनी अपने में समा लेना……..

जब भी पुकारू मैं तुमको, तुम्हे आना ही होगा,
इतनी विनती है मेरी, तुम्हे पार लगाना होगा,
जैसी हु तेरी हु, चरणों में जगह देना,
बरपा है केहर भोले आकर के बचा लेना,
देकर शरण अपनी अपने में समा लेना……..

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

हरतालिका तीज

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

हरतालिका तीज
गणेश चतुर्थी

बुधवार, 27 अगस्त 2025

गणेश चतुर्थी
परिवर्तिनी एकादशी

बुधवार, 03 सितम्बर 2025

परिवर्तिनी एकादशी
ओणम / थिरुवोणम

शुक्रवार, 05 सितम्बर 2025

ओणम / थिरुवोणम
अनंत चतुर्दशी

शनिवार, 06 सितम्बर 2025

अनंत चतुर्दशी
भाद्रपद पूर्णिमा

रविवार, 07 सितम्बर 2025

भाद्रपद पूर्णिमा

संग्रह