राधा अष्टमी भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कृष्ण प्रिया राधाजी का जन्म हुआ था। इसलिए यह दिन राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। राधा जी को पंचामृत से स्नान कराकर उनका श्रृंगार करें, भोग लगावें फिर धूप, दीप, फूल आदि से आरती उतारें।
राधा जी की आरती
आरती राधा जी की कीजै। टेक
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करें जिन पर विश्वासा।
आरति वृषभानु लली की कीजै। आरती…
कृष्णचन्द्र की करी सहाई मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती…
नन्द से प्रीति बढ़ाई, जमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रचाई की कीजै। आरती…
प्रेम राह जिसने बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधा जी की कीजै। आरती…
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दुःख हरणी जी की कीजै। आरती.
कृष्णचन्द्र ने प्रेम बढ़ाया, विपिन बीच में रास रचाया।
आरती कृष्ण प्रिया की कीजै। आरती.
दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत मात की कीजै। आरती…
निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे
आरती विश्वमात की कीजै। आरती राधा जी की कीजै…।