रमा एकादशी, हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी मानी जाती है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इसे रंभा एकादशी भी कहा जाता है और यह विशेष रूप से वैष्णव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रमा एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: 19 अक्टूबर 2025 (रविवार)
- एकादशी आरंभ: 18 अक्टूबर को रात 08:26 बजे
- एकादशी समाप्त: 19 अक्टूबर को शाम 06:42 बजे
- पारणा का समय: 20 अक्टूबर को सुबह 06:22 से 08:43 बजे तक
रमा एकादशी का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भूत, भविष्य और वर्तमान के सभी पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसे मोक्ष प्रदा एकादशी भी कहा गया है।
यह व्रत विशेष रूप से गृहस्थों के लिए लाभकारी माना गया है, क्योंकि यह दांपत्य जीवन में प्रेम और शांति बनाए रखने में मदद करता है।
व्रत और पूजा विधि
- प्रातः स्नान करके संकल्प लें – “मैं रमा एकादशी का व्रत रखूंगा।”
- भगवान विष्णु की पीले पुष्पों से पूजा करें और तुलसी दल अर्पित करें।
- दिन भर निर्जल व्रत रखें (यदि संभव हो) या फलाहार करें।
- भगवद गीता का पाठ करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- रात्रि जागरण करें और भजन-कीर्तन में भाग लें।
- अगले दिन पारणा के साथ व्रत पूर्ण करें।
रमा एकादशी व्रत के लाभ
- पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति
- वैवाहिक जीवन में सुख-संतुलन
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
- भगवान विष्णु की विशेष कृपा
रमा एकादशी की कथा
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, एक राजा की पत्नी ने रमा एकादशी का व्रत किया, जिससे उसके पति को नया जीवन मिला और उनके जीवन की सभी बाधाएं दूर हो गईं। यह कथा बताती है कि एकादशी का व्रत न केवल आत्मिक शुद्धि करता है, बल्कि सांसारिक कष्टों को भी दूर करता है।