भगवान सूर्य

बारे में

अस्त्र
सूर्याअस्त्र, सुदर्शन चक्र, गदा, कमल, शंख और त्रिशूल

त्यौहार
छठ पूजा

सवारी
सप्त अश्वों द्वारा खींचा जाने वाला रथ, सारथी: अरुण

जीवनसाथी
संध्या, छाया

माता-पिता
महर्षि कश्यप (पिता) देवी अदिति (माता)

भाई-बहन
इन्द्र (बड़े भाई) , धाता (छोटे भाई) , पूषा (छोटे भाई) , अर्यमा (छोटे भाई) , त्वष्ट्र (छोटे भाई) , भग (छोटे भाई) , अंशुमान (छोटे भाई) , मित्र (छोटे भाई) , वरुण (छोटे भाई) , पर्जन्य (छोटे भाई) और वामन (छोटे भाई)

सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है। समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है। सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है, यह आज एक सर्वमान्य सत्य है। वैदिक काल में आर्य सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता धर्ता मानते थे। सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक.यह सर्व प्रकाशक, सर्व प्रवर्तक होने से सर्व कल्याणकारी है। ऋग्वेद के देवताओं में सूर्यदेव का महत्वपूर्ण स्थान है। यजुर्वेद ने “चक्षो सूर्यो जायत” कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है।

मंत्र संग्रह
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भजन संग्रह
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आगामी उपवास और त्यौहार

सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

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गुरु गोविंद सिंह जयंती

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025

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पौष पूर्णिमा

शनिवार, 03 जनवरी 2026

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षटतिला एकादशी

बुधवार, 14 जनवरी 2026

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मकर संक्रांति

बुधवार, 14 जनवरी 2026

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जया एकादशी

सोमवार, 26 जनवरी 2026

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