भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी कहते हैं। यह व्रत जाने अनजाने हुए पापों के प्रक्षालन के लिए स्त्री-पुरुष दोनों को करना चाहिए। व्रत करने वाले को गंगा नदी या किसी अन्य नदी अथवा तालाब में स्नान करना चाहिए। यदि यह सम्भव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए। तत्पश्चात गोबर से लीपकर मिट्टी या तांबे का जल भरा कलश रखकर अष्टदल कमल बनावें। अरुन्धती सहित सप्त ऋषियों का पूजन कर कथा सुनें तथा ब्राह्मण को भोजन कराकर स्वयं भोजन करें।

कथा : सिताश्व नाम के एक राजा ने एक बार ब्रह्माजी से पूछा- “पितामह ! सब व्रतों में श्रेष्ठ और तुरन्त फलदायक व्रत कौन सा है? उन्होंने बताया कि ऋषि पंचमी का व्रत सब व्रतों में श्रेष्ठ और पापों का विनाश करने वाला है। हाजी ने कहा, “विदर्भ देश में एक उत्तंक नामक सदाचारी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी सुशीला बड़ी पतिव्रता थी। उसके एक पुत्र एवं एक पुत्री थी। उसकी पुत्री विवाहोपरान्त विधवा हो गई। दुःखी ब्राह्मण-दम्पत्ति कन्या सहित गंगातट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।

उत्तंक को समाधि में ज्ञान हुआ कि उसकी पुत्री पूर्व जन्म में रजस्वला होने पर भी वतनों को छू लेती इससे इसके
शरीर में कीड़े पड़ गये हैं। धर्म शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीस दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से ऋषि पंचमी का व्रत करे तो यह पापमुक्त हो सकती है।

पिता की आज्ञा से उसकी पुत्री ने विधिपूर्वक “ऋषि पंचमी” का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई। अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला।

Comments

आगामी उपवास और त्यौहार

छठ पूजा

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

छठ पूजा
कार्तिक पूर्णिमा

बुधवार, 05 नवम्बर 2025

कार्तिक पूर्णिमा
उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी