आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथ पुरी में यह रथ यात्रा निकलती है। इस रथ यात्रा में जगन्नाथ जी का रथ, बलभद्र जी का रथ एवं सुभद्रा का रथ शामिल होता है। जगन्नाथजी का रथ 45 फुट ऊँचा और 35 फुट लम्बा तथा 35 फुट चौड़ा होता है। बलभद्र जी का रथ 44 फुट और सुभद्रा का रथ 43 फुट ऊँचा होता है। जगन्नाथजी के रथ में 16 पहिये तथा बलभद्र जी एवं सुभद्रा के रथ में 12-12 पहिये होते हैं। ये रथ प्रतिवर्ष नए बनाए जाते हैं। इन रथों को मनुष्य खींचते हैं। मंदिर के सिंह द्वार पर बैठकर भगवान जनकपुरी की ओर रथ यात्रा करते हैं। जनकपुरी पहुँचकर तीन दिन भगवान वहाँ ठहरते हैं। वहाँ उनकी भेंट लक्ष्मी जी से होती है। इसके बाद भगवान पुनः जगन्नाथ पुरी लौट आते हैं ।

इस रथ यात्रा को देखने के लिए देश के कोने-कोने से यात्री आते हैं। इस मंदिर की प्रतिमाओं को वर्ष में एक बार इस दिन मंदिर से बाहर निकाला जाता है।

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