जया पार्वती व्रत का महत्व

जया पार्वती व्रत, माता पार्वती को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे सुहागिन स्त्रियां और अविवाहित कन्याएं दोनों ही श्रद्धापूर्वक करती हैं। सुहागिन स्त्रियां इस व्रत को अपने पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना के लिए करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं इसे सुयोग्य वर पाने के लिए करती हैं। यह व्रत हर वर्ष अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से प्रारंभ होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया पर समाप्त होता है।

जया पार्वती व्रत की पूजा विधि (Jaya Parvati Vrat Puja Vidhi)

पहले दिन की पूजा विधि

  1. ब्रह्म मुहूर्त में उठें: आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  2. स्नानादि कार्य: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. ज्वार या गेहूँ बोना: व्रत के पहले दिन एक पात्र में ज्वार या गेहूँ के दानों को बोकर पूजा के स्थान पर रखें।
  4. पूजा सामग्री अर्पित करें: अगले 5 दिनों तक ज्वार के पात्र में जल, अक्षत, पुष्प, रोली, और रूई की माला चढ़ाएं।
  5. शिव-पार्वती की पूजा: भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को लाल कपड़े पर स्थापित करके पूजा करें। दीप जलाएं और व्रत का संकल्प लें।
  6. अर्पण सामग्री: शिव-पार्वती जी को कुमकुम, अष्टगंध, शतपत्र, कस्तूरी, फूल, नारियल, नैवेद्य, ऋतु फल, धूप, पंचामृत आदि अर्पित करें।
  7. व्रत कथा का पाठ: व्रत कथा का पाठ करें और फिर माता पार्वती और भगवान शिव की आरती उतारें।
  8. माता पार्वती का ध्यान: माता पार्वती का ध्यान करते हुए सुख-सौभाग्य और गृह शांति की कामना करें और अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

पांचवे दिन की पूजा विधि

  1. सुबह स्नान: सुबह स्नान करके माता पार्वती, भगवान शिव और ज्वार पात्र की पूजा करें।
  2. रात्रि जागरण: भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
  3. विसर्जन: रेत के हाथी और ज्वार के पौधों को किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित करें।
  4. दान-पुण्य: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। हरी सब्जी तथा गेहूँ से बनी रोटियों से व्रत का पारण करें।

जया पार्वती व्रत का महत्व (Importance of Jaya Parvati Vrat)

जया पार्वती व्रत विवाहित और अविवाहित महिलाओं दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत सुखी वैवाहिक जीवन और सुयोग्य वर की प्राप्ति की कामना से किया जाता है। इसके साथ ही यह व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और माता पार्वती के प्रति असीम आस्था का प्रतीक है। यह व्रत महिलाओं की भक्ति एवं समर्पण को भी दर्शाता है।

ध्यान रखने योग्य बातें (Keep These Things in Mind)

  1. ब्राह्मण भोजन: व्रत के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य अवश्य करें।
  2. भजन-कीर्तन: पांच दिनों तक भजन-कीर्तन करें और मंदिर जाकर दर्शन करें।
  3. कन्या भोजन: व्रत के आखिरी दिन पांच कन्याओं को भोजन करवाएं।
  4. नमक वर्जित: इस व्रत में नमक खाना वर्जित है।
  5. अनाज और सब्जी का परहेज: उपवास की अवधि में अनाज और सभी प्रकार की सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता है।

इस प्रकार, जया पार्वती व्रत का पालन करके महिलाएं अपने जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य प्राप्त कर सकती हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है।

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