कृष्ण जन्माष्टमी Date: सोमवार, 26 अगस्त 2024

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात के बारह बजे मथुरा के राजा कंस की जेल में वासुदेव जी की पत्नी देवी देवकी के गर्भ से सोलह कलाओं से युक्त भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस तिथि को रोहिणी नक्षत्र का विशेष माहात्म्य है। इस दिन देश के समस्त मन्दिरों का शृंगार किया जाता है। कृष्णावतार के उपलक्ष में झाँकियाँ सजायी जाती हैं। भगवान कृष्ण का श्रृंगार करके झूला सजाया जाता है। स्त्री पुरुष रात के बारह बजे तक व्रत रखते हैं। रात को बारह बजे शंख तथा घंटों की आवाज से श्रीकृष्ण के जन्म की खबर चारों दिशाओं में गूँज उठती है। भगवान कृष्ण की आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है। प्रसाद ग्रहण कर व्रत को खोला जाता है।

कथा : द्वापर युग में पृथ्वी पर राक्षसों के अत्याचार बढ़ने लगे। पृथ्वी गाय का रूप धारण कर अपनी कथा सुनाने के लिए तथा अपने उद्धार के लिए ब्रह्माजी के पास गई। ब्रह्माजी सब देवताओं को साथ लेकर पृथ्वी को विष्णु के पास क्षीर सागर ले गये। उस समय भगवान विष्णु अनन्त शैया पर शयन कर रहे थे। स्तुति करने पर भगवान की निद्रा भंग हो गई।

भगवान ने ब्रह्मा एवं सब देवताओं को देखकर उनके आने का कारण पूछा तो पृथ्वी बोली- भगवान मैं पाप के बोझ से दबी जा रही हूँ। मेरा उद्धार कीजिए। यह सुनकर विष्णु बोले- मैं ब्रज मण्डल में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से जन्म लूँगा। तुम सब देवतागण ब्रज भूमि में जाकर यादव वंश में अपना शरीर धारण करो। इतना कहकर भगवान अन्तर्ध्यान हो गए। इसके पश्चात् देवता ब्रज मण्डल में आकर यदुकुल में नन्द-यशोदा तथा गोप गोपियों के रूप में पैदा हुए।

द्वापर युग के अन्त में मथुरा में उग्रसेन राजा राज्य करते थे। उग्रसेन के पुत्र का नाम कंस था। कंस ने उग्रसेन को बलपूर्वक सिंहासन से उतारकर जेल में डाल दिया और स्वयं राजा बन गया। कंस की बहन देवकी का विवाह यादव कुल में वासुदेव के साथ निश्चित हो गया। जब कंस देवकी को विदा करने के लिए रथ के साथ जा रहा था तो आकाशवाणी हुई कि “हे कंस! जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से विदा कर रहा है उसका आठवाँ पुत्र तेरा संहार करेगा। आकाशवाणी की बात सुनकर कंस क्रोध से भरकर देवकी को मारने को तैयार हो गया। उसने सोचा – न देवकी होगी न उसका कोई पुत्र होगा। वासुदेव जी ने कंस को समझाया कि तुम्हें देवकी से तो कोई भय नहीं है। देवकी की आठवीं सन्तान से तुम्हें भय है। इसलिये मैं इसकी आठवीं सन्तान को तुम्हें सौंप दूँगा। तुम्हारे समझ में जो आये उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना। कंस ने वासुदेव जी की बात स्वीकार कर ली और वासुदेव-देवकी को कारागार में बन्द

कर दिया। तत्काल नारदजी वहाँ आ पहुँचे और कंस से बोले कि यह कैसे पता चलेगा कि आठवाँ गर्भ कौन-सा होगा। गिनती प्रथम से या अन्तिम गर्भ से शुरू होगी। कंस ने नारदजी के परामर्श पर देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले समस्त बालकों को मारने का निश्चय कर लिया। इस प्रकार एक-एक करके कंस ने देवकी के सात बालकों को निर्दयता पूर्वक मार डाला।

भाद्र पद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया। वासुदेव देवकी के सामने शंख, चक्र, गदा एवं पदमधारी चतुर्भुज भगवान ने अपना रूप प्रकट कर कहा, “अब मैं बालक का रूप धारण करता हूँ। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दो।

तत्काल वासुदेव जी की हथकड़ियाँ खुल गईं। दरवाजे अपने आप खुल गये। पहरेदार सो गये। वासुदेव कृष्ण को सूप में रखकर गोकुल को चल दिए। रास्ते में यमुना श्रीकृष्ण के चरणों को स्पर्श करने के लिए बढ़ने लगीं। भगवान ने अपने पैर लटका दिए। चरण छूने के बाद यमुना घट गई।

वासुदेव यमुना पार कर गोकुल में नन्द के यहाँ गये। बालक कृष्ण को यशोदाजी की बगल में सुलाकर कन्या को लेकर वापस कंस के कारागार में आ गये। जेल के दरवाजे पूर्ववत् बन्द हो गये। वासुदेव जी के हाथों में हथकड़ियाँ पड़ गईं, पहरेदार जाग गये। कन्या के रोने पर कंस को खबर दी गई। कंस ने कारागार में आकर कन्या को लेकर पत्थर पर पटक कर मारना चाहा परन्तु वह कंस के हाथ से छूटकर आकाश में उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली, “हे कंस! मुझे मारने से क्या लाभ है? तेरा शत्रु तो गोकुल में पहुँच चुका है।”. दृश्य देखकर कंस हतप्रभ और व्याकुल हो गया। यह

कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए अनेक दैत्य भेजे। श्रीकृष्ण ने अपनी आलौकिक माया से सारे दैत्यों को मार डाला। बड़े होने पर कंस को मारकर उग्रसेन को राजगद्दी पर बैठाया।

श्रीकृष्ण की पुण्य जन्म तिथि को तभी से सारे देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

Comments

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी