सर्वपितृ अमावस्या (Sarvapitru Amavasya), जिसे आमतौर पर पितृ पक्ष (Pitru Paksha) भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू परंपरा है जो पितरों की पूजा और तर्पण (तिल-तर्पण) के माध्यम से मनाई जाती है। यह परंपरा पितरों की आत्मा की शांति और प्रसन्नता को प्राप्त करने के लिए समर्पित होती है।

पितृ पक्ष एक 16-दिवसीय अवधि होती है जो भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष से शुरू होती है और आश्विन मास की कृष्ण पक्ष के साथ समाप्त होती है। इस अवधि में लोग अपने श्राद्ध करते हैं और अपने पितरों को आदर और पुष्टि के साथ याद करते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष की अंतिम दिन होती है, जिसमें पितृ तर्पण के माध्यम से पितरों को श्राद्ध दिया जाता है। इस दिन लोग अपने गुरुपितृ, पितृगण, और वंश के अन्य सदस्यों के लिए प्रार्थना करते हैं और उनकी मुक्ति और आत्मिक शांति के लिए तिल-तर्पण करते हैं।

यह परंपरा विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भागों में है।

Comments

आगामी उपवास और त्यौहार

सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी
गुरु गोविंद सिंह जयंती

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025

गुरु गोविंद सिंह जयंती
पौष पूर्णिमा

शनिवार, 03 जनवरी 2026

पौष पूर्णिमा
षटतिला एकादशी

बुधवार, 14 जनवरी 2026

षटतिला एकादशी
मकर संक्रांति

बुधवार, 14 जनवरी 2026

मकर संक्रांति
जया एकादशी

सोमवार, 26 जनवरी 2026

जया एकादशी