तुलसी विवाह: महत्व और पौराणिक कथा
तुलसी विवाह, जिसे शालिग्राम विवाह या तुलसी Kalyanam भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, तुलसी के पौधे का विवाह भगवान विष्णु के प्रतीक शालिग्राम या आंवला की शाखा के साथ किया जाता है।
तुलसी विवाह का महत्व:
- पवित्रता और सौभाग्य का प्रतीक: तुलसी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसका विवाह भगवान विष्णु के साथ करना घर में पवित्रता, सौभाग्य और समृद्धि लाने का प्रतीक है।
- विष्णु और तुलसी का संबंध: पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी तुलसी पूर्व में वृंदा नामक एक अप्सरा थीं। भगवान विष्णु के भक्त जलंधर का वध करने के बाद, भगवान शिव ने क्रोधित होकर उन्हें पत्थर में बदल दिया। तुलसी ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, जिसके बाद भगवान विष्णु ने उन्हें तुलसी के रूप में पुनर्जन्म दिया और उन्हें अपने प्रिय घोषित किया।
- देवउठनी एकादशी का उत्सव: तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के बाद मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु के चार महीने की योग निद्रा से जागने का प्रतीक है।
- विवाह माह का शुभारंभ: तुलसी विवाह विवाह माह का भी शुभारंभ करता है, जो हिंदू धर्म में विवाह के लिए सबसे शुभ महीना माना जाता है।
तुलसी विवाह की पौराणिक कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी थीं, लेकिन देवी लक्ष्मी को ईर्ष्या की भावना थी। एक बार, देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को शाप दिया कि वे पत्नीहीन हो जाएंगे। भगवान विष्णु शाप से मुक्त होने के लिए तपस्या करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी तुलसी प्रकट हुईं और भगवान विष्णु से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। भगवान विष्णु ने देवी तुलसी से विवाह किया और उन्हें अपने प्रिय घोषित किया।
तुलसी विवाह कैसे मनाया जाता है:
तुलसी विवाह एक धार्मिक और सामाजिक उत्सव है। इस दिन, तुलसी के पौधे को स्नान कराया जाता है, नए कपड़े पहनाए जाते हैं, और आभूषणों से सजाया जाता है। शालिग्राम को भी स्नान कराया जाता है और तुलसी के पौधे के पास रखा जाता है। विवाह की विधियां हिंदू विवाह की परंपराओं के अनुसार संपन्न होती हैं। भक्त भगवान विष्णु और देवी तुलसी की पूजा करते हैं और प्रसाद वितरित करते हैं।
तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो पवित्रता, सौभाग्य, समृद्धि और भक्ति का प्रतीक है। यह भगवान विष्णु और देवी तुलसी के पवित्र प्रेम की याद दिलाता है।