वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को यह मनाई जाती है। इस दिन व्रत करके जुआ खेलना, नींद, पान, दन्तधावन, परनिन्दा, क्षुद्रता, चोरी, हिंसा, रति, क्रोध तथा झूठ को त्यागने का माहात्म्य है ऐसा करने से मानसिक शान्ति मिलती है। व्रती को हविष्यान्न खाना चाहिए। परिवार के सदस्यों को रात्रि को भगवद् भजन करके जागरण करना चाहिए।
कथा : प्राचीन काल में नर्मदा तट पर मांधाता नामक राजा राज्य करता था। वह अत्यन्त ही दानशील और तपस्वी राजा था।
एक दिन तपस्या करते समय एक जंगली भालू राजा मांधाता का पैर चबाने लगा। थोड़ी देर बाद भालू राजा को घसीटकर वन में ले गया। राजा घबराकर विष्णु भगवान से प्रार्थना करने लगा। भक्त की पुकार सुनकर विष्णु भगवान ने उसके प्रभाव से तुम पुनः अपने पैरों को कर सकोगे। यह तुम्हारा पूर्व जन्म का अपराध था। राजा ने इस व्रत को अपार श्रद्धा से किया तथा पैरों को पुनः प्राप्त कर लिया।