
मंदिर के बारे में
यह रही घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) के बारे में विस्तृत, आध्यात्मिक और जानकारीपूर्ण प्रस्तुति:
🛕 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग – बारहवां और अंतिम ज्योतिर्लिंग
स्थान: एलोरा, औरंगाबाद ज़िला, महाराष्ट्र
मुख्य देवता: भगवान शिव
महत्व: बारहवाँ और अंतिम ज्योतिर्लिंग
🔱 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को “धर्म के पुनर्जन्म का स्थान” माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में अंतिम है, और इसे विशेष रूप से भक्ति, क्षमा और पुनर्जन्म से जोड़ा जाता है। यहां पर शिवजी को गृहणेश्वर या घृष्णेश्वर नाम से पूजा जाता है, जिसका अर्थ है “दया और करुणा के स्वामी”।
📖 पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, एक महिला ‘कुशमा’ अपने मृत पुत्र को पुनर्जीवित करने के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या करती है। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट होते हैं और न केवल उनके पुत्र को जीवनदान देते हैं बल्कि वहीं प्रकट होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो जाते हैं।
इस कारण इसे ‘घृष्णेश्वर’ कहा गया, जो भक्ति और पुनर्जन्म का प्रतीक है।
🏛️ मंदिर की विशेषताएँ
- यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है, और पूरी तरह से रेड सैंडस्टोन (लाल बलुआ पत्थर) से निर्मित है।
- यहाँ पर महिलाओं को भी गर्भगृह (Garbhagriha) में प्रवेश की अनुमति है, जो अन्य कई ज्योतिर्लिंगों से अलग है।
- मंदिर के पास ही प्रसिद्ध एलोरा की गुफाएँ (Ellora Caves) स्थित हैं – जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।
🚩 कैसे पहुँचें?
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: औरंगाबाद (लगभग 30 किमी)
- नजदीकी हवाई अड्डा: औरंगाबाद एयरपोर्ट
- सड़क मार्ग: महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
🙏 महाशिवरात्रि का विशेष पर्व
महाशिवरात्रि पर यहाँ हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं और रातभर भगवान शिव का अभिषेक, रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन करते हैं। यह दिन यहाँ पर अत्यंत पवित्र माना जाता है।
📌 महत्वपूर्ण तथ्य (Quick Facts):
- 📍 स्थान: एलोरा, महाराष्ट्र
- 🔥 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम
- 💫 पवित्रता, पुनर्जन्म और भक्ति का प्रतीक
- 🛕 गर्भगृह में महिलाओं का प्रवेश वैध
- 🏞 एलोरा की गुफाओं के पास