पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो प्रत्येक वर्ष हिंदी कैलेंडर के अनुसार अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक मनाया जाता है। इस समय अवधि में, भक्त अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उन्हें याद करते हैं।

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य अपने पितरों और स्वजनों को समर्पित करना है, जिनका देहांत हो चुका है। इस दौरान विविध अनुष्ठान किए जाते हैं, जैसे तर्पण, श्राद्ध और विशेष पूजा, जिससे कि पितरों को संतुष्ट किया जा सके। कुछ परिवारों में इस समय विशेष भोग भी तैयार किए जाते हैं ताकि उन्हें अर्पित किया जा सके।

पितृपक्ष का महत्व केवल धार्मिक क्रियाकलापों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मीय भावनाओं, परिवार की एकता और परंपराओं के संरक्षण का भी प्रतीक है। लोग इस अवसर पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ इकट्ठा होते हैं और एक-दूसरे के साथ श्रद्धा व्यक्त करने के लिए समय बिताते हैं।

ये दिन न केवल श्रद्धांजलि देने का अवसर हैं, बल्कि यह परिवार के बंधनों को भी मजबूत करने का माध्यम हो सकते हैं।

पितृ पक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने की विधि कुछ विशेष नियमों और परंपराओं के अनुसार होती है। यहां पर इसके प्रमुख पहलुओं को संक्षेप में बताया गया है:

श्राद्ध की विधि:

तिथि का चयन:
यदि किसी पूर्वज के परलोक गमन की तिथि ज्ञात है, तो उसी तिथि को उनका श्राद्ध करें।
अगर तिथि ज्ञात नहीं है, तो सर्वपितृ अमावस्या (महालय अमावस्या) का दिन श्राद्ध करने के लिए उपयुक्त है।
अकाल मृत्यु की स्थिति में, श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है।

श्राद्ध का महत्व:
श्राद्ध का आयोजन तीन पीढ़ियों तक किया जा सकता है। इस परंपरा का उद्देश्य पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है।
इसे यमराज की कृपा से, यह माना जाता है कि सभी पूर्वज अपने स्वजनों के पास आकर तर्पण ग्रहण करते हैं।
पूर्वजों का प्रतिनिधित्व:

श्राद्ध कर्म के दौरान, पिता को वसु के समान, दादा को रुद्र देवता के समान, और परदादा को आदित्य देवता के समान माना जाता है। ये सभी अन्य पूर्वजों के प्रतिनिधि हैं।
अनुष्ठान:

श्राद्ध के दिन पिंडदान, तर्पण और भोजन का आयोजन किया जाता है।
ब्राह्मणों को भोजन कराया जाना चाहिए और दान का विशेष महत्व है।
इस अवसर पर विशेष मंत्रों का जाप और पूजा की विधियां अपनाई जाती हैं।
यह विधि न केवल धार्मिक आस्था को दृढ़ करती है, बल्कि परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाने का भी कार्य करती है।

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

आगामी उपवास और त्यौहार

हरतालिका तीज

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

हरतालिका तीज
गणेश चतुर्थी

बुधवार, 27 अगस्त 2025

गणेश चतुर्थी
परिवर्तिनी एकादशी

बुधवार, 03 सितम्बर 2025

परिवर्तिनी एकादशी
ओणम / थिरुवोणम

शुक्रवार, 05 सितम्बर 2025

ओणम / थिरुवोणम
अनंत चतुर्दशी

शनिवार, 06 सितम्बर 2025

अनंत चतुर्दशी
भाद्रपद पूर्णिमा

रविवार, 07 सितम्बर 2025

भाद्रपद पूर्णिमा