कामिका एकादशी Date: सोमवार, 21 जुलाई 2025

श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं। इसे पवित्र एकादशी भी कहते हैं। प्रातःकाल स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर भोग लगाते हैं। आचमन के पश्चात् धूप, दीप, चन्दन आदि से आरती करनी चाहिए।

पूजन विधि कामिका एकादशी तिथि पर सबसे पहले स्नान करें। स्नान करने के बाद श्री विष्णु के पूजन-क्रिया को प्रारंभ करें। प्रभु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि निवेदित करें। आठों पहर निर्जल रहकर विष्णुजी के नाम का स्मरण करें और भजन-कीर्तन करें। इस दिन ब्राह्मण भोज एवं दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। अत: ब्राह्मण को भोज करवाकर दान-दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करें। विष्णु सहस्त्रनाम का जप करें।

कथा: प्राचीन काल में किसी गाँव में एक ठाकुर रहता था। एक दिन ठाकुर की एक ब्राह्मण से कहा सुनी हो गई।
तकरार बढ़ने पर ब्राह्मण ठाकुर के हाथों मारा गया। ब्राह्मण के मर जाने से ठाकुर को ब्रह्महत्या का पाप सताने लगा। ठाकुर ने गाँव के ब्राह्मणों से ब्रह्महत्या के पाप से छूटने का उपाय पूछा। ब्राह्मणों ने उसे कामिका एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। ठाकुर ने वैसा ही किया। रात्रि में वह जब भगवान की प्रतिमा के पास शयन कर रहा था तो स्वप्न भगवान ने दर्शन देकर उसे ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त कर दिया। ठाकुर ब्राह्मण की तेरहवीं करके ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त होकर विष्णु लोक चला गया।

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