सीता नवमी, जिसे जानकी नवमी भी कहा जाता है, माता सीता जी के जन्म दिवस के रूप में पूरे भारत में श्रद्धा से मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है। मान्यता है कि इसी दिन राजा जनक को हल चलाते समय माता सीता मिली थीं।
सीता नवमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
- सीता नवमी 2025 की तिथि: 5 मई 2025 (सोमवार)
- नवमी तिथि प्रारंभ: 4 मई 2025 को दोपहर 01:07 बजे
- नवमी तिथि समाप्त: 5 मई 2025 को दोपहर 03:39 बजे
पूजा का श्रेष्ठ समय: 5 मई को सुबह 06:00 बजे से 11:00 बजे के बीच
सीता नवमी का महत्व
माता सीता नारी शक्ति, धैर्य, त्याग और मर्यादा का प्रतीक मानी जाती हैं। इस दिन महिलाएं सौभाग्य, सुखमय वैवाहिक जीवन और संतान सुख के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत स्त्रियों को माता सीता जैसी शक्ति और सहनशीलता प्रदान करता है।
पूजा विधि (Puja Vidhi)
- सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- घर या मंदिर में भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- उन्हें पीले पुष्प, चंदन, अक्षत और तुलसी दल अर्पित करें।
- सीता नवमी व्रत कथा का पाठ करें।
- रामायण पाठ या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- व्रत के बाद भक्तिभाव से आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
व्रत कथा (Sita Navami Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, मिथिला के राजा जनक ने एक बार अकाल के समय यज्ञ के लिए भूमि हल से जोत रहे थे। तभी उन्हें धरती के भीतर से एक कन्या प्राप्त हुई – यही थीं माता सीता। चूंकि वे धरती से उत्पन्न हुई थीं, उन्हें भूमिपुत्री और जानकी भी कहा जाता है।
व्रत के लाभ
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और संतुलन
- संतान सुख की प्राप्ति
- मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि
- माता सीता की कृपा से सभी संकटों से मुक्ति