उगादी (Ugadi) – नववर्ष का पावन पर्व
उगादी (Ugadi) दक्षिण भारत का एक प्रमुख नववर्ष पर्व है, जिसे मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, और कुछ हिस्सों में महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को आता है और हिन्दू पंचांग के अनुसार यह नए साल की शुरुआत को दर्शाता है।
उगादी शब्द का अर्थ
“उगादी” शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है:
- “युग” (Yuga) – युग या काल
- “आदि” (Adi) – शुरुआत या आरंभ
इस प्रकार उगादी का अर्थ होता है – “एक नए युग की शुरुआत।”
कब मनाया जाता है?
उगादी को चैत्र मास की पहली तिथि (मार्च–अप्रैल के बीच) को मनाया जाता है। यही तिथि गुड़ी पड़वा, चेटी चांद, और संवत्सर आरंभ जैसे अन्य नववर्ष उत्सवों के रूप में भी मान्य है।
धार्मिक महत्व
- उगादी को ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना का दिन माना जाता है।
- इस दिन विशेष पूजा, पंचांग श्रवण, हवन, और ध्यान किया जाता है।
- मंदिरों में विशेष कार्यक्रम और भविष्यवाणी (Panchanga Shravanam) का आयोजन होता है।
उगादी के विशेष पकवान
“उगादी पचड़ी” इस दिन का प्रमुख व्यंजन है, जो 6 विभिन्न स्वादों से मिलकर बनता है – मीठा, खट्टा, तीखा, कड़वा, नमकीन और कसैला। ये जीवन के विभिन्न अनुभवों का प्रतीक हैं:
- नीम के फूल – कड़वाहट (दुख)
- गुड़ – मिठास (खुशियाँ)
- इमली – खटास (आश्चर्य)
- हरी मिर्च – तीखापन (क्रोध)
- नमक – जीवन का स्वाद (संतुलन)
- कच्चा आम – खट्टा (चिंतन)
उगादी का उत्सव
- लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों को साफ़ और सजाया जाता है।
- दरवाज़ों पर तोरणम (आम के पत्तों की बंदनवार) लगाई जाती है।
- नए पंचांग (कैलेंडर) का स्वागत किया जाता है।
- परिवारजनों के साथ मिलकर भविष्य की योजनाएं बनाई जाती हैं।
निष्कर्ष
उगादी केवल एक नववर्ष पर्व नहीं, बल्कि यह जीवन में नए उत्साह, नई सोच और सकारात्मकता का प्रवेश द्वार है। यह हमें सिखाता है कि जीवन के हर स्वाद को स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए।