गीता जयंती Geeta Jayanti एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश, “श्रीमद् भगवद गीता,” की याद में मनाया जाता है। यह त्यौहार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया

मनाया जाता है, जिसे ‘मोक्षदा एकादशी’ भी कहा जाता है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को गीता का उपदेश दिए जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

श्रीमद् भगवद गीता क्या है?

श्रीमद् भगवद गीता हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है, जो महाभारत के भीष्म पर्व के तहत आता है। यह 700 श्लोकों का एक संवाद है जो भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ था। गीता को सामान्यतः तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. कर्म योग: इसमें कर्म (कर्म और कर्तव्य) के सिद्धांतों की व्याख्या की गई है।
  2. भक्ति योग: इसमें भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम का महत्व बताया गया है।
  3. ज्ञान योग: इसमें आत्मा, ब्रह्म और सृष्टि के रहस्यों के बारे में ज्ञान दिया गया है।

गीता जयंती का महत्व

गीता जयंती का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है:

  1. धर्म और कर्तव्य: यह दिन हमें अपने धर्म और कर्तव्य के प्रति सचेत करता है। गीता के उपदेश कर्म, भक्ति और ज्ञान के माध्यम से जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
  2. आत्म साक्षात्कार: गीता का अध्ययन आत्मा के सत्य स्वरूप को जानने और समझने में मदद करता है।
  3. शांति और मोक्ष: गीता का संदेश व्यक्ति को मानसिक शांति और मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।

गीता जयंती पर भक्तजन गीता पाठ, प्रवचन और ध्यान आदि का आयोजन करते हैं। यह दिन गीता के महत्व और उसके उपदेशों को समझने और जीवन में उतारने का एक विशेष अवसर होता है।

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