कल्कि अवतार भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार माने जाते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, विष्णु भगवान समय-समय पर अलग-अलग युगों में अलग-अलग अवतार लेकर धरती पर धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए प्रकट होते हैं। कल्कि, जो विष्णु के दशावतारों (दस अवतारों) की कड़ी में अंतिम अवतार होंगे, का प्रमुख उद्देश्य कलयुग अंत में अधर्म का नाश करना और धर्म की पुनः स्थापना करना होगा।
इस अवतार को लेकर लोगों के मन में कई तरह की जिज्ञासाएं पाई जाती हैं। हर कोई जानना चाहता है कि भगवान विष्णु अपना कल्कि अवतार कब लेंगे? कहां लेंगे? उनका रूप कैसा होगा? उनका वाहन क्या होगा? ऐसे तमाम सवालों के जवाब श्रीमद्भागवत महापुराण में मौजूद हैं। श्रीमद्भागवत-महापुराण के बारहवें स्कन्द में दिया गया
श्लोक- सम्भलप्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मन:। भवने विष्णुयशस: कल्कि प्रादुर्भविष्यति॥
अर्थ: “भगवान विष्णु का कल्कि अवतार सम्भल ग्राम के एक प्रमुख ब्राह्मण, जो महान आत्मा वाले होंगे, विष्णुयशस के घर में प्रकट होंगे।”
कल्कि अवतार की विशेषताएँ
शक्ति और प्रचंडता: कल्कि एक योद्धा के रूप में प्रकट होंगे, जो सफ़ेद घोड़े पर सवार होंगे और उनके हाथ में एक तलवार होगी। उनका रूप अद्वितीय और प्रचंड होगा।
युगांतकारी भूमिका: कल्कि का अवतार कलयुग के अंत में होगा, जब अधर्म अत्यधिक बढ़ जाएगा और मानवता पतन की कगार पर होगी। वे सभी अधर्मियों और दुष्टों का नाश करेंगे और सतयुग (सत्य का युग) की पुनः स्थापना करेंगे।
धर्म की पुनः स्थापना: कल्कि अवतार का प्रमुख उद्देश्य धर्म की पुनः स्थापना करना और विश्व में शांति, सदाचार, और समृद्धि लाना है।