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श्री प्रेम बिहारी जी मंदिर, जयपुर – एक ऐतिहासिक धरोहर
जयपुर के चांदपोल बाजार में जयालाल मुंशी का रास्ता स्थित श्री प्रेम बिहारी जी मंदिर लगभग 285 वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता बल्कि यहां की मान्यताओं और विशेष परंपराओं के लिए भी प्रसिद्ध है।
मंदिर में विराजमान देवी-देवता
मंदिर के गर्भगृह में राधा-कृष्ण ठाकुर जी के दो जोड़े प्रतिष्ठित हैं, जिनकी अर्चना भक्ति भाव से की जाती है। इसके अलावा भगवान गणेश, हनुमान जी और सालिग्राम जी की प्रतिमाएँ भी यहां विराजमान हैं, जिनकी सेवा भक्तगण नित्य करते हैं।
श्री प्रेम बिहारी जी मंदिर के महंतों की परंपरा
इस मंदिर की सेवा और परंपराओं को पीढ़ी दर पीढ़ी संभालने का कार्य श्रद्धेय महंतों द्वारा किया जाता रहा है। वर्तमान में महंत श्री पवन कुमार जी महाराज आठवीं पीढ़ी के उत्तराधिकारी हैं। मंदिर की सेवा में निम्नलिखित महंतों ने योगदान दिया है:
- महंत स्वर्गीय श्री गोविंद दास जी महाराज
- महंत स्वर्गीय श्री केशव दास जी महाराज
- महंत स्वर्गीय श्री बालक दास जी महाराज
- महंत स्वर्गीय श्री बलदेव दास जी महाराज
- महंत स्वर्गीय श्री राघव दास जी महाराज
- महंत स्वर्गीय श्री घिसी लाल जी महाराज
- महंत स्वर्गीय श्री श्याम दास जी महाराज (कैलाश नारायण जी)
- वर्तमान महंत: श्री पवन कुमार जी महाराज
मंदिर की विशेषताएँ एवं मान्यताएँ
- नजर दोष निवारण:
मंदिर की स्थापना के समय से ही यहाँ छोटे बच्चों की नज़र दोष उतारने और वयस्कों की समस्याओं के समाधान हेतु विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। - समस्याओं का समाधान:
व्यापार, घर-परिवार की परेशानियाँ, जीवन में आने वाली बाधाएँ, सभी के लिए श्रद्धालु यहाँ विशेष पूजा-अर्चना करवाते हैं। - प्राचीन काल की परंपराएँ:
मंदिर के प्रारंभिक काल में, जब क्षेत्र में गांव और खेती होती थी, श्रद्धालु यहाँ गेहूं की बोरियाँ लेकर आते थे और उन्हें भेंट स्वरूप अर्पित करते थे। समय के साथ सिक्कों का प्रचलन बढ़ा, तो लोग तांबे के सिक्के (2 पैसे, 3 पैसे, 5 पैसे और 10 पैसे) चढ़ाने लगे।
यह मंदिर न केवल जयपुरवासियों के लिए बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। यहां की दिव्य ऊर्जा, ऐतिहासिक परंपरा और आध्यात्मिक शांति भक्तों को विशेष अनुभूति प्रदान करती है।