मासिक शिवरात्रि को हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में भगवान शिव को संहारकर्ता और माता पार्वती को सृजनकर्ता माना जाता है। इसलिए इस दिन इन दोनों देवताओं की पूजा करने से जीवन में संतुलन बना रहता है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व
मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रत करने से हर मुश्किल कार्य आसान हो जाता है और जातक की सारी समस्याएं दूर होती हैं। मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
मासिक शिवरात्रि व्रत विधि
- प्रातःकाल उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- घर के मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान शिव का जलाभिषेक करें और उन्हें बेलपत्र, धतूरा, फूल, रोली, अक्षत आदि अर्पित करें।
- शिव चालीसा या शिव मंत्र का पाठ करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती से अपने मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
- शाम को फिर से भगवान शिव की पूजा करें और आरती करें।
- रात में जागरण करें और भगवान शिव की कथा सुनें।
- अगले दिन सुबह स्नान करें और व्रत का पारण करें।
मासिक शिवरात्रि व्रत कथा
एक समय की बात है, एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। उसके कोई संतान नहीं थी। वह और उसकी पत्नी बहुत दुखी थे। एक दिन एक साधु उनके घर आए और उन्होंने उन्हें मासिक शिवरात्रि व्रत करने की सलाह दी। व्यापारी और उसकी पत्नी ने साधु की बात मानी और मासिक शिवरात्रि व्रत करना शुरू किया। कुछ समय बाद, उन्हें एक पुत्र हुआ। व्यापारी और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए। उन्होंने साधु को धन्यवाद दिया।
मासिक शिवरात्रि व्रत के लाभ
मासिक शिवरात्रि व्रत करने के निम्नलिखित लाभ हैं:
- सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- हर मुश्किल कार्य आसान हो जाता है।
- जातक की सारी समस्याएं दूर होती हैं।
- व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मासिक शिवरात्रि व्रत करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय और समृद्ध होता है।