आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी,

परसत चरणारविन्द आपदा हरी।

निरखत मुखारविंद आपदा हरी,

कंचन धूप ध्यान ज्योति जगमगी।

अग्नि कुण्डल घृत पाव सथरी। आरती..

देवन द्वारे ठाड़े रोहिणी खड़ी,

मारकण्डे श्वेत गंगा आन करी।

गरुड़ खम्भ सिंह पौर यात्री जुड़ी,

यात्री की भीड़ बहुत बेंत की छड़ी । आरती ..

धन्य-धन्य सूरश्याम आज की घड़ी । आरती ..

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

माघ पूर्णिमा

बुधवार, 12 फरवरी 2025

माघ पूर्णिमा
विजया एकादशी

सोमवार, 24 फरवरी 2025

विजया एकादशी
महा शिवरात्रि

बुधवार, 26 फरवरी 2025

महा शिवरात्रि
आमलकी एकादशी

सोमवार, 10 मार्च 2025

आमलकी एकादशी
होलिका दहन

गुरूवार, 13 मार्च 2025

होलिका दहन
होली

शुक्रवार, 14 मार्च 2025

होली

संग्रह