आरती श्री जगन्नाथ जी की

आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी,

परसत चरणारविन्द आपदा हरी।

निरखत मुखारविंद आपदा हरी,

कंचन धूप ध्यान ज्योति जगमगी।

अग्नि कुण्डल घृत पाव सथरी। आरती..

देवन द्वारे ठाड़े रोहिणी खड़ी,

मारकण्डे श्वेत गंगा आन करी।

गरुड़ खम्भ सिंह पौर यात्री जुड़ी,

यात्री की भीड़ बहुत बेंत की छड़ी । आरती ..

धन्य-धन्य सूरश्याम आज की घड़ी । आरती ..

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी
पुत्रदा एकादशी

मंगलवार, 05 अगस्त 2025

पुत्रदा एकादशी

संग्रह