जय पुरुषोत्तम देवा, स्वामी जय पुरुषोत्तम देवा।
महिमा अमित तुम्हारी, सुर-मुनि करें सेवा॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

सब मासों में उत्तम, तुमको बतलाया।
कृपा हुई जब हरि की, कृष्ण रूप पाया॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

पूजा तुमको जिसने सर्व सुक्ख दीना।
निर्मल करके काया, पाप छार कीना॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

मेधावी मुनि कन्या, महिमा जब जानी।
द्रोपदि नाम सती से, जग ने सन्मानी॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

विप्र सुदेव सेवा कर, मृत सुत पुनि पाया।
धाम हरि का पाया, यश जग में छाया॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

नृप दृढ़धन्वा पर जब, तुमने कृपा करी।
व्रतविधि नियम और पूजा, कीनी भक्ति भरी॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

शूद्र मणीग्रिव पापी, दीपदान किया।
निर्मल बुद्धि तुम करके, हरि धाम दिया॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

पुरुषोत्तम व्रत-पूजा हित चित से करते।
प्रभुदास भव नद से सहजही वे तरते॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

वरुथिनी एकादशी

गुरूवार, 24 अप्रैल 2025

वरुथिनी एकादशी
मोहिनी एकादशी

गुरूवार, 08 मई 2025

मोहिनी एकादशी
वैशाखी पूर्णिमा

सोमवार, 12 मई 2025

वैशाखी पूर्णिमा
अपरा एकादशी

शुक्रवार, 23 मई 2025

अपरा एकादशी
शनि जयंती

मंगलवार, 27 मई 2025

शनि जयंती
निर्जला एकादशी

शुक्रवार, 06 जून 2025

निर्जला एकादशी

संग्रह