पवित्रा श्री विट्ठलेश पहरावे।
व्रज नरेश गिरिधरन चंद्र को निरख निरख सचु पावे॥१॥
आसपास युवतिजन ठाडी हरखित मंगल गावे।
गोविंद प्रभु पर सकल देवता कुसुमांजलि बरखावे ॥२॥

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