छोड़ दे ओ भोले बाबा छोड़ दे,
इस भांग नशे ने छोड़ दे…..

एक दिना मैं गई थी लक्ष्मी धोरे बैठन को,
छिरसागर में विष्णु लेटे, लक्ष्मी पैर दबाती थी,
बोली यू लक्ष्मी हंसकर, मेरे ताना मारा कस के,
छोड़ दे ओ भोले बाबा छोड़ दे,
इस भांग नशे ने छोड़ दे…..

आजा वे पार्वती तने पीढ़े पर बैठाऊगी,
तेरे धोरे खाट को ना सेज पे सुलाऊंगी,
बोली यू लक्ष्मी हंसकर, मेरे ताना मारा कस के,
छोड़ दे ओ भोले बाबा छोड़ दे,
इस भांग नशे ने छोड़ दे…..

आजा पार्वती तने अपना महल दिखाऊंगी,
तेरे धोरे कुछ भी कोना सारे में घूमाऊंगी,
देख ले ऊपर चढ़के, मेरे ताना मारा कस के,
छोड़ दे ओ भोले बाबा छोड़ दे,
इस भांग नशे ने छोड़ दे…..

आजा पार्वती तने अपना खजाना दिखाऊंगी,
तेरे धोरे कुछ भी कोना ताला खोल दिखाऊंगी,
ले जा तू झोली भर के, मेरे ताना मारा कस के,
छोड़ दे ओ भोले बाबा छोड़ दे,
इस भांग नशे ने छोड़ दे…..

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