सालासर वारो, मेरो बाला जी आवो
अंजनी के लाला आवो भोग लगावो

1.स्वर्ण सिंहासन पे आसन सज्यो है
दरश को द्वारे बाबा मेला लग्यो है
मंगल शनिवार थारो मन बड़ो भावो…..

2.मान मनौती रातिजगा दीयो है
कथा कीर्तन गुणगान कियो है
स्वीकार कर हमें शरण में लगावो….

3.खीर, चूरमा,नरेल, रोट धरयो है
थाल में पान-बीड़ो, लाडु पड़यो है
चाखो बाला जी इसे अमृत बनावो…..

4.बावलिया स्वामी भगत मोहनदास आयो
संग कान्ही बाई उदयराम को लायो
प्रेम से बाबा लाडु हलवा पूरी खावो….

5.कहे ‘‘मधुप’’ क्षमा अपराध करना
पड़े हैं शरण थारी दुःख दोष हरना
भोग लगावो नाम रस बरसावो…..।

Author: सुप्रसिद्ध लेखक एवं संकीर्तनाचार्य श्री केवल कृष्ण ❛मधुप❜ (मधुप हरि जी महाराज) अमृतसर

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