जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा
दोउ कर जोरें बिनवौं प्रभु ! सुनिये बाता ।

तुम रघुनाथ हमारे प्रान, पिता माता
तुम ही सज्जन – संगी भक्ति – मुक्ति–दाता ।। जय ….

लख चौरासी काटो मेटो यम-त्रासा
निसदिन प्रभु मोहि रखिये अपने ही पासा ।। जय…

राम भरत लछिमन सँग शत्रुहन भैया
जगमग ज्योति विराजै, सोभा अति लहिया ।। जय …

हनुमत नाद बजावत, नेवर झमकाता
स्वर्णथाल कर आरती कौसल्या माता ।। जय …

सुभग मुकुट सिर, धनु सर कर सोभा भारी
मनीराम दर्शन करि पल – पल बलिहारी ।। जय…

Author: श्री देवकीनंदन जी महाराज

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