सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ,
गौरी सूत गणराज,
तुम हो देवों के सरताज,
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान, तुम हो देवों के सरताज……

गंगाजल स्नान कराऊँ,
केसर चंदन तिलक लगाऊं,
रंग बिरंगे फुल मे लाऊँ,
सजा सजा तुमको पह्राऊ,
लम्बोदर गजवदन विनायक,
राखो मेरी लाज, तुम हो देवों के सरताज…..

जो गणपति को प्रथम मनाता,
उसका सारा दुख मीट जाता,
रिद्धि सिध्दि सुख सम्पति पाता,
भव से बेड़ा पार हो जाता,
मेरी नैया पार करो,
मैं तेरा लगाऊं ध्यान, तुम हो देवों के सरताज……

पार्वती के पुत्र हो प्यारे,
सारे जग के तुम रखवाले,
भोलेनाथ है पिता तुम्हारे,
सूर्य चन्द्रमा मस्तक धारें,
मेरे सारे दुख मीट जाये,
देवों यही वरदान, तुम हो देवों के सरताज……

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

वरुथिनी एकादशी

गुरूवार, 24 अप्रैल 2025

वरुथिनी एकादशी
मोहिनी एकादशी

गुरूवार, 08 मई 2025

मोहिनी एकादशी
वैशाखी पूर्णिमा

सोमवार, 12 मई 2025

वैशाखी पूर्णिमा
अपरा एकादशी

शुक्रवार, 23 मई 2025

अपरा एकादशी
शनि जयंती

मंगलवार, 27 मई 2025

शनि जयंती
निर्जला एकादशी

शुक्रवार, 06 जून 2025

निर्जला एकादशी

संग्रह