उठो जगो गणपति गजमुख अब,
मंगल शुभ प्रभात आया ॥
मंगल करण भरण जन जन सुख सूर्य उदित नभ पर छाया,
श्री ऋषकेतू उमानन्दन श्री ओंकार के रूप प्रभो,
कमलनयन खोलो देखो खिल गए कमल सर्वत्र विभोर,
जय जय जय सुर मुनि मन रंजन उमापुत्र सुत त्रिपुरारी,
भीड़ लगी है सौद द्वार पर वहीँ भक्त करते वंदन,
कमलनयन सुख सदन दयानिधि कृपा करो गिरिजा नंदन,
चंद्र वदन गजवदन मनोहर दीन दुखी पर कृपा करो,
विघ्नकरण सब विघ्न विनाशक भक्तों के सब पाप हरो,
सुप्रभात की बेला आयी मंगल सुप्रकाश फैला,
खिले कमल मूंद गई कुमुदनी गया अंधकार मैला,
सप्तर्षि वंदन करके अब लौट गये आनंद मगन,
उठो हे रम्भ सुख सदन दयानिधि उमालाल सम्पूर्ण गगन,
फैला शुभ आलोक चतुर्विक पवन बहे अति सुखदायी,
दिव्यगंध से सुरभित तन मन अरुण किरण अति मुद दाई,
नारदादि ऋषिमुनि जन सारे सुन्दर स्तुति गान करे,
शुभ प्रभात की शुभ बेला में भजन यजन सम्मान करे,
कहीं गूंजते स्वर वीणा के कहीं भेरी तुरहि श्रृंगी,
मधुर मुरली का स्वर सुन सुनकर गुन गुन करते हैं भृंगी,
मंद मंद वादन मृदंग का गूंज रहा घन गर्जन सा,
शीतल मंद सुगंध पवन से करते तरु नर तन जैसा,
घंटा शंख घड़ियाल मंजीरे शब्द करे अति सुखदायी,
पत्ते पत्ते फूल फूल पर अरुणिम ज्योति किरण छाई,
दया और करुणा के सागर श्री गणपति सब विघ्न हरो,
सबकी मनो कामना पूरन कर दो सबके पाप हरो।

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी

संग्रह