जद गुरु जी हुँदै दयाल

जद गुरु जी हुँदै दयाल

जद गुरु जी हुँदै दयाल बचेया नु कर के निहाल कहंदे ऐश कर
जारी करदे फरमान जा किता तेरा कल्याण कहंदे ऐश कर

जद तू गुरु जी दे रंग विच रंगेया,
सब कुछ पाया जो भी मंगेया
हो गया मालामाल कहंदे ऐश कर

गुरा दे दर दी शान निराली
इस दर तो कोई जाए न खाली
पुरे करदे सवाल कहंदे ऐश कर

हर दम मस्ती विच रहंदे ने
हाल दिला डा पड़ लेनदे ने
जान के दिला दा हाल कहंदे ऐश कर

जिस दे सिर गुरु हथ धर दिंदे
पत्थर नु पारस कर दिंदे
करके दास कमाल कहंदे ऐश कर

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