तर्ज – धरती सुनहरी अंबर नीला

इस लायक मैं नहीं था बाबा,
इस लायक मैं नहीं था फिर भी,
तूने खूब दिया है,
ये तो प्रेम है तेरा,
ये तो प्रेम है तेरा,
हँसता गाता ख़ुशी मनाता,
ये संसार दिया है,
ये तो प्रेम है तेरा,
ये तो प्रेम है तेरा….

खाली हाथ ना आए,
जिस और भी हाथ बढ़ाऊँ,
जितना मुश्किल लागे,
वो सहज सभी पा जाऊँ,
पैदल ही आया था,
गाडी में मुझे बिठाया,
सर पर छत भी ना थी,
तूने बंगला बनवाया,
जिसका कोई मोल नहीं,
वो उपकार दिया है,
ये तो प्रेम है तेरा,
ये तो प्रेम है तेरा….

तुझसे ही महकी है,
मेरे आँगन की फुलवारी,
सूना था जीवन मेरा,
अब बच्चो की किलकारी,
दुनिया की नजरो से,
हम सब की रक्षा करना,
तूने ही सिखाया हँसना,
अब रोने को ना कहना,
लहरी मरकर भी भूलूँ ना,
इतना प्यार दिया है,
ये तो प्रेम है तेरा,
ये तो प्रेम है तेरा…….

इस लायक मैं नहीं था बाबा,
इस लायक मैं नहीं था फिर भी,
तूने खूब दिया है,
ये तो प्रेम है तेरा,
ये तो प्रेम है तेरा,
हँसता गाता ख़ुशी मनाता,
ये संसार दिया है,
ये तो प्रेम है तेरा,
ये तो प्रेम है तेरा…….

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