हों तो एक नई बात सुन आई।
महरि जसोदा ढोटा जायो, आंगन बजत बधाई ॥१॥
कहिये कहा कहत नहि आवे रतन भूमि छबि छाई ।
नाचर बिरध तरुण अरु बालक गोरस कीच मचाई ॥२॥
द्वारें भीतर गोप ग्वालन की वरनों कहा बढाई ।
सूरदास प्रभु अंतरयामी, नंदसुवन सुखदाई ॥३॥

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

माघ पूर्णिमा

बुधवार, 12 फरवरी 2025

माघ पूर्णिमा
विजया एकादशी

सोमवार, 24 फरवरी 2025

विजया एकादशी
महा शिवरात्रि

बुधवार, 26 फरवरी 2025

महा शिवरात्रि
आमलकी एकादशी

सोमवार, 10 मार्च 2025

आमलकी एकादशी
होलिका दहन

गुरूवार, 13 मार्च 2025

होलिका दहन
होली

शुक्रवार, 14 मार्च 2025

होली

संग्रह