जौ बिधिना अपबस करि पाऊं।
तौ सखि कह्यौ हौइ कछु तेरो, अपनी साध पुराऊं॥
लोचन रोम-रोम प्रति मांगों पुनि-पुनि त्रास दिखाऊं।
इकटक रहैं पलक नहिं लागैं, पद्धति नई चलाऊं॥
कहा करौं छवि-रासि स्यामघन, लोचन द्वे, नहिं ठाऊं।
एते पर ये निमिष सूर , सुनि, यह दुख काहि सुनाऊं॥

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी

संग्रह