तर्ज – श्यामा आन बसों वृंदावन में

मुझ पर भी दया की कर दो नज़र,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर,
कुछ दीनों के दुःख की लेलो खबर,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर……

आरत जन तुमको पुकार रहे,
आने की बाट निहार रहे,
सिर छिपा के यहाँ बैठे नटवर,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर,
मुझ पर भी दया कि कर दो नज़र,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर…..

ब्रजबाला व्याकुल रहती है,
ग्वालों की टोली कहती है,
कब आओगे नटवर बनकर,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर,
मुझ पर भी दया कि कर दो नज़र,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर……

जिस बंसी ने प्रेम प्रकाश किया,
रसदायक रास बिलास किया,
बज जाए वही बंसी घर घर,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर,
मुझ पर भी दया कि कर दो नज़र,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर……

बिसरा दो इन्हें या सम्हालो इन्हें,
ठुकरा दो चाहे अपना लो इन्हें,
दृग बिन्दु है आपके पेशे नज़र,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर,
मुझ पर भी दया कि कर दो नज़र,
ऐ श्याम सुंदर ऐ मुरलीधर……

Author: Unknown Claim credit

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