बरसै बदरिया सावन की
बरसै बदरिया सावन कीसावन की मनभावन की।सावन में उमग्यो मेरो मनवाभनक सुनी हरि आवन की।उमड़ घुमड़ चहुँ दिसि से आयोदामण दमके झर लावन की।नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसैसीतल पवन सोहावन की।मीराके प्रभु गिरधर नागरआनंद मंगल...
बरसै बदरिया सावन कीसावन की मनभावन की।सावन में उमग्यो मेरो मनवाभनक सुनी हरि आवन की।उमड़ घुमड़ चहुँ दिसि से आयोदामण दमके झर लावन की।नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसैसीतल पवन सोहावन की।मीराके प्रभु गिरधर नागरआनंद मंगल...
बसो मोरे नैनन में नंदलाल।मोहनी मूरति सांवरि सूरति, नैणा बने बिसाल।अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती-माल।।छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल।मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल।।
प्रभुजी मैं अरज करुँ छूं म्हारो बेड़ो लगाज्यो पार।।इण भव में मैं दुख बहु पायो संसा-सोग निवार।अष्ट करम की तलब लगी है दूर करो दुख-भार।।यों संसार सब बह्यो जात है लख चौरासी री धार।मीरा के...
म्हारे घर होता जाज्यो राज।अबके जिन टाला दे जाओ सिर पर राखूं बिराज।।म्हे तो जनम जनमकी दासी थे म्हांका सिरताज।पावणड़ा म्हांके भलां ही पधारया सब ही सुघारण काज।।म्हे तो बुरी छां थांके भली छै घणेरी...
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।।जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई।।छांडि दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई।संतन ढिग बैठि बैठि लोकलाज खोई।।चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही...
प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय।।जल बिन कमल, चंद बिन रजनी, ऐसे तुम देख्याँ बिन सजनी।आकुल व्याकुल फिरूँ रैन दिन, बिरह कालजो खाय।।दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न...
स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान।।स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान।सबमें महिमा थांरी देखी कुदरत के कुरबान।।बिप्र सुदामा को दालद खोयो बाले की पहचान।दो मुट्ठी तंदुलकी चाबी दीन्हयों द्रव्य महान।भारत में अर्जुन के...
सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।तुम(तो) पतित अनेक उधारे, भव सागर से तारे।।मैं सबका तो नाम न जानूं कोइ कोई नाम उचारे।अम्बरीष सुदामा नामा, तुम पहुँचाये निज धामा।ध्रुव जो पाँच वर्ष के...
बादल देख डरी हो, स्याम! मैं बादल देख डरी।श्याम मैं बादल देख डरी।काली-पीली घटा ऊमड़ी बरस्यो एक घरी।श्याम मैं बादल देख डरी।जित जाऊँ तित पाणी पाणी हुई भोम हरी।।जाका पिय परदेस बसत है भीजूं बाहर...
पायो जी म्हे तो राम रतन धन पायो।। टेक।।वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।।जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।।खायो न खरच चोर न लेवे, दिन-दिन बढ़त सवायो।।सत की नाव खेवटिया...
होरी खेलत हैं गिरधारी।मुरली चंग बजत डफ न्यारो।संग जुबती ब्रजनारी।।चंदन केसर छिड़कत मोहनअपने हाथ बिहारी।भरि भरि मूठ गुलाल लाल संगस्यामा प्राण पियारी।गावत चार धमार राग तहंदै दै कल करतारी।।फाग जु खेलत रसिक सांवरोबाढ्यौ रस ब्रज...
तेरो कोई नहिं रोकणहार, मगन होइ मीरा चली।।लाज सरम कुल की मरजादा, सिरसै दूर करी।मान-अपमान दोऊ धर पटके, निकसी ग्यान गली।।ऊँची अटरिया लाल किंवड़िया, निरगुण-सेज बिछी।पंचरंगी झालर सुभ सोहै, फूलन फूल कली।बाजूबंद कडूला सोहै, सिंदूर...