श्री वल्लभ भले बुरे दोउ तेरे।
श्री वल्लभ भले बुरे दोउ तेरे।तुमही हमरी लाज बढाई, विनती सुनो प्रभु मेरे ॥१॥अन्य देव सब रंक भिखारी, देखे बहुत घनेरे ।हरि प्रताप बल गिनत न काहु, निडर भये सब चेरे ॥२॥सब त्यज तुम शरणागत...
श्री वल्लभ भले बुरे दोउ तेरे।तुमही हमरी लाज बढाई, विनती सुनो प्रभु मेरे ॥१॥अन्य देव सब रंक भिखारी, देखे बहुत घनेरे ।हरि प्रताप बल गिनत न काहु, निडर भये सब चेरे ॥२॥सब त्यज तुम शरणागत...
वृंदावन एक पलक जो रहिये।जन्म जन्म के पाप कटत हे कृष्ण कृष्ण मुख कहिये ॥१॥महाप्रसाद और जल यमुना को तनक तनक भर लइये।सूरदास वैकुंठ मधुपुरी भाग्य बिना कहां पइये ॥२॥
व्रज में हरि होरी मचाई ।इततें आई सुघर राधिका उततें कुंवर कन्हाई ।खेलत फाग परसपर हिलमिल शोभा बरनी न जाई ॥१॥ नंद घर बजत बधाई….ब्रज में हरि होरी मचाई ।बाजत ताल मृदंग बांसुरी वीणा ढफ...
साची कहो मनमोहन मोसों तो खेलों तुम संग होरी ।आज की रेन कहा रहे मोहन कहां करी बरजोरी ॥१॥मुख पर पीक पीठिपर कंकन हिये हार बिन डोरि ।जिय में ओर उपर कछु औरे चाल चलत...
श्री यमुने पति दास के चिन्ह न्यारे ।भगवदी को भगवत संग मिलि रहत हैं, जाके हिय बसत प्राण प्यारे ॥१॥गूढ यमुने बात सोई अब जानही, जाके मनमोहन नैनतारे ।सूर सुख सार निरधार वे पावहीं, जापर...
फल फलित होय फलरूप जाने ।देखिहु ना सुनी ताहि की आपुनी, काहु की बात कहो कैसे जु माने ॥१॥ताहि के हाथ निर्मोल नग दीजिये, जोई नीके करि परखि जाने ।सूर कहें क्रूर तें दूर बसिये...
नाम महिमा ऐसी जु जानो ।मर्यादादिक कहें लौकिक सुख लहे पुष्टि कों पुष्टिपथ निश्चे मानो ॥१॥स्वाति जलबुन्द जब परत हें जाहि में, ताहि में होत तेसो जु बानो ।श्री यमुने कृपा सिंधु जानि स्वाति जल...
कन्हैया हालरू रे ।गुढि गुढि ल्यायो बढई धरनी पर डोलाई बलि हालरू रे ॥१॥इक लख मांगे बढै दुई नंद जु देहिं बलि हालरू रे ।रत पटित बर पालनौ रेसम लागी डोर बलि हालरू रे ॥२॥कबहुँक...
पालनैं गोपाल झुलावैं ।सुर मुनि देव कोटि तैंतीसौ कौतुक अंबर छावैं ॥१॥जाकौ अन्त न ब्रह्मा जाने, सिव सनकादि न पावैं ।सो अब देखो नन्द जसोदा, हरषि हरषि हलरावैं ॥२॥हुलसत हँसत करत किलकारी मन अभिलाष बढावैं...
पलना स्याम झुलावत जननी ।अति अनुराग पुरस्सर गावति, प्रफुलित मगन होति नंद घरनी ॥१॥उमंगि उमंगि प्रभु भुजा पसारत, हरषि जसोमति अंकम भरनी ।सूरदास प्रभु मुदित जसोदा, पूरन भई पुरातन करनी ॥२॥
कनक रति मनि पालनौ, गढ्यो काम सुतहार ।बिबिध खिलौना भाँति के, गजमुक्ता चहुँधार ॥जननी उबटि न्हवाइ के, क्रम सों लीन्हे गोद ।पौढाए पट पालने, निरखि जननि मन मोद ॥अति कोमल दिन सात के, अधर चरन...
दृढ इन चरण कैरो भरोसो, दृढ इन चरणन कैरोश्री वल्लभ नख चंद्र छ्टा बिन, सब जग माही अंधेरो । भरोसो…साधन और नही या कलि में, जासों होत निवेरो । भरोसो….सूर कहा कहे, विविध आंधरो, बिना...