मनवा राम सुमिर लै रे, नहीं तो रोकग जमदानी,
नहीं तो रोकग जमदानी, नहीं तो रोकग जमदानी,
मनवा राम सुमिर लै रे…..

साधु की वाणी सदा सुहानी, ज्यों झिरिया को पाणी रे,
खोजत खोज़त खोज लिया रे, कई हीरा कई कणी,
मनवा राम सुमिर लै रे…..

चुन चुन कंकर महल बनाया, वामे भवर लुभानी रे,
आया ईसरा गया पसारा, झुटी अपनी वाणी,
मनवा राम सुमिर लै रे…..

मेरी मेरी मत कर बंदे, कलु काल का फेरा रे,
तेरे सिर पर काल फिरत है, जैसे सींग मृग को घेरा,
मनवा राम सुमिर लै रे…..

राम नाम का सुमिरन करले, गठरी बांधी तानी रे,
भव सागर से पार उतर जा, नहीं तो जाय नरक की खाणी,
मनवा राम सुमिर लै रे…..

कहे जन सिंगा सुनो भाई साधो, यो पद है निर्वाणी रे,
ये पद की कोई करो खोजना, गुरू बोले अमीरस वाणी,
मनवा राम सुमिर लै रे…..

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कामिका एकादशी

बुधवार, 31 जुलाई 2024

कामिका एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 02 अगस्त 2024

मासिक शिवरात्रि
हरियाली तीज

बुधवार, 07 अगस्त 2024

हरियाली तीज
नाग पंचमी

शुक्रवार, 09 अगस्त 2024

नाग पंचमी
कल्कि जयंती

शनिवार, 10 अगस्त 2024

कल्कि जयंती
पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पुत्रदा एकादशी

संग्रह