मेरे मालिक की दुकान में,
सब लोगो का खाता,
जो नर जैसा करम करेगा,
वैसा ही फल पाता,
मेरे मालिक की दुकान मे,
सब लोगो का खाता……

क्या साधु क्या संत ग्रहस्ती,
क्या राजा क्या रानी,
प्रभु की पुस्तक में लिखी है,
सबकी करम कहानी,
वही तो सबके जमा खर्च का,
सही हिसाब लगाता,
मेरे मालिक की दुकान मे,
सब लोगो का खाता…….

करता है इंसाफ सभी के,
सिंहासन पर डट के,
उसका फैसला कभी ना टलता,
लाख कोई सर पटके,
समझदार तो चुप रहता है,
ओर मुर्ख शोर मचाता,
मेरे मालिक की दुकान मे,
सब लोगो का खाता…….

नहीं चले उसके घर रिश्वत,
नहीं चले चालाकी,
उसके अपने लेन देन की,
रीत बड़ी है बांकी,
पूण्य का बेडा पार करे,
पापी की नाव डूबाता,
मेरे मालिक की दुकान मे,
सब लोगो का खाता…….

अच्छी करनी करीयो लाला,
करम ना करीयो काला,
देख रहा है लाख आँख से,
तुझको ऊपर वाला,
सतगुरु संत से प्रेम लगा ले,
समय गुजरता जाता,
मेरे मालिक की दुकान मे,
सब लोगो का खाता……

Author: Unknown Claim credit

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