तुम्हें नहीं देखा हनुमान अंगूठी कहां से लाए,
मेरी नहीं जान पहचान अंगूठी कहां से लाए,
तुम्हें नहीं देखा…..

ना हीं तुम्हें देखा जनकपुरी में,
ना हीं मुनियों के साथ, अंगूठी कहां से लाए,
तुम्हें नहीं देखा…..

ना हीं तुम्हें देखा अवधपुरी में,
ना हीं रघुवर के साथ, अंगूठी कहां से लाए,
तुम्हें नहीं देखा…..

ना हीं तुम्हें देखा गंगा तट पर,
ना हीं केवट के साथ, अंगूठी कहां से लाए,
तुम्हें नहीं देखा…..

ना हीं तुम्हें देखा पंचवटी पर,
ना हीं लक्ष्मण के साथ, अंगूठी कहां से लाए,
तुम्हें नहीं देखा…..

ना हीं तुम्हें देखा चित्रकूट में,
ना हीं ऋषियों के साथ, अंगूठी कहां से लाए,
तुम्हें नहीं देखा…..

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