भोलेनाथ जी जोगी बनकर

भोलेनाथ जी जोगी बनकर, सबको यही सिखाते है,
मोह माया में क्यों पड़े हो, मुझमे सब ही समाते है……

अंत समय आएगा साथ, मैली कर जायेगा,
राजा हो या रंक हो सब मेरी शरण में ही पाएगा,
धरा यही रह जायेगा जो तेरा मेरा गाते है,
मोह माया में क्यों पड़े हो, मुझमे सब ही समाते है……

जीवन मिला है तुझको प्यारे, जी भरके तू जी ले,
सब गम मिट जाए तेरे, भोले नाम की बूटी पी ले,
सन्यासी जीवन में बनके यही अलख जगाते है,
मोह माया में क्यों पड़े हो, मुझमे सब ही समाते है……

लाख बिगाड़े दुनिया चाहे, बिन मर्ज़ी कुछ ना बिगड़ेगा,
जिसपर हाथ भोले का हो हर मुश्किल से लड़ेगा,
“सागर” की जो उलझन बिगड़ी भोले ही तो बनाते है,
मोह माया में क्यों पड़े हो, मुझमे सब ही समाते है……

Author: Unknown Claim credit

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