थक गया हूँ चलते चलते
इक ठौर चाहिये।
तेरे चरणों के सिवाय
ठिकाना ना और चाहिये।

भटक रहा है मन
डगर है बहुत अँधेरी
राह दिखाये ऐसी
इक भोर चाहिये।
तेरे चरणों के सिवाय
ठिकाना ना और चाहिये।
थक गया हूँ चलते चलते
इक ठौर चाहिये।

डगमगा रही है कश्ती
भँवर बहुत हैं गहरे
डूब रहा हूँ तुम्हारे होते
तुम कैसे मांझी ठहरे
थामों पतवार आके
मुझे छोर चाहिये।
तेरे चरणों के सिवाय
ठिकाना ना और चाहिये।
थक गया हूँ चलते चलते
इक ठौर चाहिये।

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

षटतिला एकादशी

शनिवार, 25 जनवरी 2025

षटतिला एकादशी
बसंत पंचमी

रविवार, 02 फरवरी 2025

बसंत पंचमी
जया एकादशी

शनिवार, 08 फरवरी 2025

जया एकादशी
माघ पूर्णिमा

बुधवार, 12 फरवरी 2025

माघ पूर्णिमा
विजया एकादशी

सोमवार, 24 फरवरी 2025

विजया एकादशी
महा शिवरात्रि

बुधवार, 26 फरवरी 2025

महा शिवरात्रि

संग्रह