जगदीश ज्ञानदाता सुख-मूल, शोक-हारी,
भगवान तुम सदा हो निष्पक्ष न्यायकारी,

सब काल सर्वज्ञाता सविता पिता विधाता,
सबमें रमे हुए हो तुम विश्व के बिहारी,

कर दो बलिष्ठ आत्मा, घबरा न जाएँ दुःख से,
कठिनाइयों का जिससे, तर जाएँ सिंधु भारी,

निश्चित दया करोगे, हम माँगते यही हैं,
हमको मिले स्वयं ही, उठने की शक्ति सा

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