श्री गोपाल चालीसा
।। दोहा ।। श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल।वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल।। ।। चौपाई ।। जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी, दुष्ट दलन लीला अवतारी।जो कोई तुम्हरी लीला गावै, बिन श्रम सकल...
।। दोहा ।। श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल।वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल।। ।। चौपाई ।। जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी, दुष्ट दलन लीला अवतारी।जो कोई तुम्हरी लीला गावै, बिन श्रम सकल...
दोहासुमिर चित्रगुप्त ईश को, सतत नवाऊ शीश।ब्रह्मा विष्णु महेश सह, रिनिहा भए जगदीश ।।करो कृपा करिवर वदन, जो सरशुती सहाय।चित्रगुप्त जस विमलयश, वंदन गुरूपद लाय ।। चै0-:जय चित्रगुप्त ज्ञान रत्नाकर । जय यमेश दिगंत उजागर...
॥ दोहा ॥श्री राधे वुषभानुजा,भक्तनि प्राणाधार ।वृन्दाविपिन विहारिणी,प्रानावौ बारम्बार ॥जैसो तैसो रावरौ,कृष्ण प्रिय सुखधाम ।चरण शरण निज दीजिये,सुन्दर सुखद ललाम ॥ ॥ चौपाई ॥जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा ।कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥ नित्य विहारिणी...
।। दोहा ।। सिर नवाइ बगलामुखी,लिखूं चालीसा आज ।कृपा करहु मोपर सदा,पूरन हो मम काज ।। ।। चौपाई ।। जय जय जय श्री बगला माता,आदिशक्ति सब जग की त्राता ।। बगला सम तब आनन माता,एहि...
!! दोहा !! जयकाली कलिमलहरण,महिमा अगम अपार !महिष मर्दिनी कालिका,देहु अभय अपार ॥ !! चौपाई !! !! अरि मद मान मिटावन हारी ।मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥ !! अष्टभुजी सुखदायक माता ।दुष्टदलन जग में विख्याता...
॥ दोहा ॥जय गणेश जय गज बदन,करण सुमंगल मूल ।करहू कृपा निज दास पर,रहू सदा अनुकूल ॥ जय जननी जगदिश्वरी,कह कर बारम्बार ।जगदम्बा करणी सुयश,वरणऊ मति अनुसार ॥ सुमिरौ जय जगदम्ब भवानी ।महिमा अकथ न...
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी।तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला।नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे।दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार...
ॐ नमो गुरुदेव जी, सबके सरजन हार,व्यापक अंतर बाहर में, पार ब्रह्म करतार ,देवन के भी देव हो, सिमरू मैं बारम्बार,आपकी किरपा बिना, होवे न भव से पार ,ऋषि-मुनि सब संत जन, जपें तुम्हारा जाप,आत्मज्ञान...
।। दोहा ।।मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस || ।। सोरठा ।।यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका || ।। चौपाई ।।सिन्धु...
जय गणेश गिरिजा सुवनमंगल कर्ण किरपालदीन के दुःख दूर करि,कीजये नाथ निहाल, जय-जय श्री शनिदेव प्रभु,सुनहु विनय महराज।करहुं कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज।। जयति जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥ चारि भुजा, तनु...
॥ दोहा ॥ मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज ।माला, पुस्तक, धारिणी,वीणा कर में साज ॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जय शारदा महारानी,आदि शक्ति तुम जग कल्याणी। रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता,तीन लोक महं तुम...
॥ दोहा ॥ जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवानि॥ ॥ चौपाई ॥ ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे ,पंच बदन नित तुमको ध्यावे । षड्मुख कहि न सकत...