माता कात्यायनी की आरती
माता कात्यायनी की आरतीजय जय अम्बे, जय कात्यायनी।जय जगमाता, जग की महारानी॥बैजनाथ स्थान तुम्हारा।वहां वरदाती नाम पुकारा॥ कई नाम हैं, कई धाम हैं।यह स्थान भी तो सुखधाम है॥हर मंदिर में जोत तुम्हारी।कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी॥...
आरती जिसे सुनकर, जिसे गाकर श्रद्धालु धन्य समझते हैं। किसी भी देवी-देवता या अपने आराध्य, अपने ईष्ट देव की स्तुति की उपासना की एक विधि है। आरती के दौरान भक्तजन गाने के साथ साथ धूप दीप एवं अन्य सुगंधित पदार्थों से एक विशेष विधि से अपने आराध्य के सामने घुमाते हैं। मंदिरों में सुबह उठते ही सबसे पहले आराध्य देव के सामने नतमस्तक हो उनकी पूजा के बाद आरती की जाती है।
इसी क्रम को सांय की पूजा के बाद भी दोहराया जाता है व मंदिर के कपाट रात्रि में सोने से पहले आरती के बाद ही बंद किये जाते हैं। मान्यता है कि आरती करने वाले ही नहीं बल्कि आरती में शामिल होने वाले पर भी प्रभु की कृपा होती है। भक्त को आरती का बहुत पुण्य मिलता है। आरती करते समय देवी-देवता को तीन बार पुष्प अर्पित किये जाते हैं। मंदिरों में तो पूरे साज-बाज के साथ आरती की जाती है। कई धार्मिक स्थलों पर तो आरती का नजारा देखने लायक होता है। बनारस के घाट हों या हरिद्वार, प्रयाग हो या फिर मां वैष्णों का दरबार यहां की आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। तमिल में आरती को ही दीप आराधनई कहा जाता है।
माता कात्यायनी की आरतीजय जय अम्बे, जय कात्यायनी।जय जगमाता, जग की महारानी॥बैजनाथ स्थान तुम्हारा।वहां वरदाती नाम पुकारा॥ कई नाम हैं, कई धाम हैं।यह स्थान भी तो सुखधाम है॥हर मंदिर में जोत तुम्हारी।कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी॥...
सभी मिल, सक्ल्या नवलख संग डोकरी जिमो डाढाली ।आसो दाख दुबारा बिस्की, पीवो मद प्याली ॥सुवरण थाल छतीसों भोजन बैठों बिरदाली ॥१॥ साठ पुलाव सोवाता लीजे माता मत वाली ।दाब कलेजी और भुजंगो जिमो माँ...
सेवक की सुन मेरी कुल माता हाथ जोड तेरे द्वार खडे ।।धूप दीप नारियल ले हम माँ जमवाय की भेट धरें ।। कछवाह कुल की कुलदेवी माँ हो खुश हम पे कृपा करे ।सुन मेरी...
हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,हे प्रिया पति मैं करू आरती तेरी,तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं,सांझ सवेरे तेरे गुण गाउँ,प्रेम में रंगी मैं रंगी भक्ति में तेरी,हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी,हे प्रिया पति...
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद ।बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ॥शुक सनकादिक शेष अरु शारद ।बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥॥ आरती श्री रामायण जी की..॥ गावत बेद पुरान अष्टदस ।छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ॥मुनि जन धन...
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,सत चित आनन्द शिव सुन्दर की॥ दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन॥ अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,मर्यादा पुरुषोत्तम वर की॥ निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,सकल लोक वन्दित विभिन्न...
जय स्वामीनारायण, जय अक्षरपुरुषोत्तम,अक्षरपुरुषोत्तम जय, दर्शन सर्वोत्तमजय स्वामीनारायण मुक्त अनंत सुपुजित, सुंदर साकारम्,सर्वोपरी करुणाकर, मानव तनुधारम्जय स्वामीनारायण पुरूषोत्तम परब्रह्म, श्रीहरि सहजानन्द,अक्षरब्रह्म अनादि, गुणातीतानंदजय स्वामीनारायण प्रकट सदा सर्वकर्ता, परम मुक्तिदाता,धर्म एकान्तिक स्थापक, भक्ति परित्राताजय स्वामीनारायण दशभाव...
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥ पान सुपारी ध्वजा नारियल ।ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥ सुवा चोली तेरी...
ॐ जय महावीर प्रभु,स्वामी जय महावीर प्रभु ।कुण्डलपुर अवतारी,चांदनपुर अवतारी,त्रिशलानंद विभु ॥ सिध्धारथ घर जन्मे,वैभव था भारी ।बाल ब्रह्मचारी व्रत,पाल्यो तप धारी ॥॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥ आतम ज्ञान विरागी,सम दृष्टि धारी ।माया मोह विनाशक,ज्ञान ज्योति...
ॐ जय नरसिंह हरे,प्रभु जय नरसिंह हरे ।स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,जनका ताप हरे ॥ॐ जय नरसिंह हरे ॥ तुम हो दिन दयाला,भक्तन हितकारी,प्रभु भक्तन हितकारी ।अद्भुत रूप बनाकर,अद्भुत रूप बनाकर,प्रकटे भय हारी...
इह विधि मंगल आरति कीजे,पंच परमपद भज सुख लीजे ।इह विधि मंगल आरति कीजे,पंच परमपद भज सुख लीजे ॥ पहली आरति श्रीजिनराजा,भव दधि पार उतार जिहाजा ।इह विधि मंगल आरति कीजे,पंच परमपद भज सुख लीजे...
जय वृहस्पति देवा,ऊँ जय वृहस्पति देवा ।छिन छिन भोग लगाऊँ,कदली फल मेवा ॥ ऊँ जय वृहस्पति देवा,जय वृहस्पति देवा ॥ तुम पूरण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी ।जगतपिता जगदीश्वर,तुम सबके स्वामी ॥ ऊँ जय वृहस्पति देवा,जय वृहस्पति देवा...