हिंगलाज माता आरती
ॐ जय हिंगलाज माता , मैया जय हिंगलाज माता…जो नर तुमको ध्याता, वांछित फल पाता ।ॐ जय हिंगलाज माता… हीरा पन्ना मंडित, शीश मुकुट सोहे ।भाल सिन्दुरी टीका, भक्तन मन मोहे ।।1।।ॐ जय हिंगलाज माता…...
आरती जिसे सुनकर, जिसे गाकर श्रद्धालु धन्य समझते हैं। किसी भी देवी-देवता या अपने आराध्य, अपने ईष्ट देव की स्तुति की उपासना की एक विधि है। आरती के दौरान भक्तजन गाने के साथ साथ धूप दीप एवं अन्य सुगंधित पदार्थों से एक विशेष विधि से अपने आराध्य के सामने घुमाते हैं। मंदिरों में सुबह उठते ही सबसे पहले आराध्य देव के सामने नतमस्तक हो उनकी पूजा के बाद आरती की जाती है।
इसी क्रम को सांय की पूजा के बाद भी दोहराया जाता है व मंदिर के कपाट रात्रि में सोने से पहले आरती के बाद ही बंद किये जाते हैं। मान्यता है कि आरती करने वाले ही नहीं बल्कि आरती में शामिल होने वाले पर भी प्रभु की कृपा होती है। भक्त को आरती का बहुत पुण्य मिलता है। आरती करते समय देवी-देवता को तीन बार पुष्प अर्पित किये जाते हैं। मंदिरों में तो पूरे साज-बाज के साथ आरती की जाती है। कई धार्मिक स्थलों पर तो आरती का नजारा देखने लायक होता है। बनारस के घाट हों या हरिद्वार, प्रयाग हो या फिर मां वैष्णों का दरबार यहां की आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। तमिल में आरती को ही दीप आराधनई कहा जाता है।
ॐ जय हिंगलाज माता , मैया जय हिंगलाज माता…जो नर तुमको ध्याता, वांछित फल पाता ।ॐ जय हिंगलाज माता… हीरा पन्ना मंडित, शीश मुकुट सोहे ।भाल सिन्दुरी टीका, भक्तन मन मोहे ।।1।।ॐ जय हिंगलाज माता…...
काल की विकराल की,त्रिलोकेश्वर त्रिकाल की,भोले शिव कृपाल की,करो रे मंगल आरती,मृत्युंजय महाकाल की,करो रे मंगल आरती,मृत्युंजय महाकाल की,बाबा महाकाल की,ओ मेरे महाकाल की,करो रे मंगल आरती,मृत्युंजय महाकाल की।। पित पुष्प बाघम्बर धारी,नंदी तेरी सवारी,त्रिपुंडधारी...
ऊँ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी।। ऊँ जय।। जमदग्नी सुत नरसिंह, मां रेणुका जाया।मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया।। ऊँ जय।। कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक...
आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी, परसत चरणारविन्द आपदा हरी। निरखत मुखारविंद आपदा हरी, कंचन धूप ध्यान ज्योति जगमगी। अग्नि कुण्डल घृत पाव सथरी। आरती.. देवन द्वारे ठाड़े रोहिणी खड़ी, मारकण्डे श्वेत गंगा आन करी। गरुड़ खम्भ...
सत सृष्टि तांडव रचयिता नटराज राज नमो नमः… हेआद्य गुरु शंकर पिता नटराज राज नमो नमः… गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्मांडना नित होत नाद प्रचंडना नटराज राज नमो नमः… शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा चिद्ब्रह्म...
ॐ जय जय जय गिरिराज, स्वामी जय जय जय गिरिराज।संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज॥ ॐ जय॥ इन्द्रादिक सब सुर मिल तुम्हरौं ध्यान धरें।रिषि मुनिजन यश गावें, ते भवसिन्धु तरै॥ ॐ जय॥ सुन्दर...
जय भैरव देवा प्रभुजय भैरव देवा,सुर नर मुनि सबकरते प्रभु तुम्हरी सेवा॥ऊँ जय भैरव देवा…॥ तुम पाप उद्धारकदु:ख सिन्धु तारक,भक्तों के सुखकारकभीषण वपु धारक॥ऊँ जय भैरव देवा…॥ वाहन श्वान विराजतकर त्रिशूल धारी,महिमा अमित तुम्हारीजय जय...
महाँगौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे lउमा रमा ब्रम्हाणी ll, अपनी शरण लीजे,,,महाँगौरी दया कीजे,,,,,,,, गौर वर्ण अति सोहे, वृषभ की असवारी ll मईया llस्वेत वस्त्रो में मईया ll, लागे छवि प्यारी,,,महाँगौरी दया कीजे,,,,,,,, सृष्टि...
राधे राधे राधे राधेराधे राधे राधे राधेहोके मस्त मगन मैं तो गाऊँ जी,आरती श्री राधा रानी की,होके मस्त मगन मैं तो गाऊँ जी,आरती श्री राधा रानी की…. माथे पे प्रेम की बिंदिया जो चमके,कान्हा की...
जय महाकाल राजाजय महाकाल राजा, भोले जय गौरी नाथा,तीर्थ अवन्ती विराजे, भक्तों की रखे लाजा… ज्योतिर्लिंग स्वरूपा कालों के महाकाल,दक्षिणमुख में विराजे, मृत्युंजय महाकाल,ॐ जय महाकाल राजा…..तारक लिंग आकाश में पाताल हाटकेश्वरम,भूलोक में विराजे, बाबा...
आरती राधा जी की कीजै। टेककृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करें जिन पर विश्वासा। आरति वृषभानु लली की कीजै। आरती…कृष्णचन्द्र की करी सहाई मुंह में आनि रूप दिखाई। उस शक्ति की आरती कीजै। आरती…नन्द...
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा ,हाथ जोड तेरे द्वार खडे।पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।। जगदम्बे न कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे।सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।...