तर्ज – देखा है पहली बार
माँ हो के शेर सवार,
आ गई भक्तों के द्वार,
होता ना अब इंतज़ार,
भक्तों की सुन माँ पुकार,
कबसे खड़े राह में,
अखियाँ हैं यूँ बेकरार,
होता ना अब इंतज़ार,
भक्तों की सुन माँ पुकार…….
ज्योति जलाऊँ,
तेरा ध्यान लगाऊँ,
तेरी अद्भुत छवि मैं,
मेरे मन में बसाऊं,
मैं तेरा ही बालक,
जननी है तू मेरी,
अम्बे माँ शारदे,
विनती सुनले तू मेरी,
होके मईया शेर पे सवार,
आ गई भक्तों के द्वार,
होता ना अब इंतज़ार,
भक्तों की सुन माँ पुकार…….
चरणों में तेरे,
हम सिर को झुकाएं,
बड़ी आशा लिए हम,
तेरी महिमा सुनाएं,
फूलों से भरके झोली,
तेरे दर पे मैं चढाऊँ,
केसरिया बिंदी लगाके,
लाली चूनर ओढाऊँ,
होके मईया शेर पे सवार,
आ गई भक्तों के द्वार,
होता ना अब इंतज़ार,
भक्तों की सुन माँ पुकार……..
कण कण में माई,
तेरी शक्ति समाई,
जब विपदा पड़ी तो,
दौड़ी चली आई,
मेरी पुकार सुनके,
दर्शन ज़रा दिखा दो,
करके दया मेरी दाते,
धन्य जीवन बना दो,
होके मईया शेर पे सवार,
आ गई भक्तों के द्वार,
होता ना अब इंतज़ार,
भक्तों की सुन माँ पुकार……
माँ हो के शेर सवार,
आ गई भक्तों के द्वार,
होता ना अब इंतज़ार,
भक्तों की सुन माँ पुकार,
कब से खड़े राह में,
अखियाँ हैं यूँ बेकरार,
होता ना अब इंतज़ार,
भक्तों की सुन माँ पुकार……
Author: Unknown Claim credit