दीपों का त्योंहार हम मनाने आए हैं

सिद्धि विनायक गणपति को,
रिझाने आये हैं,
दीपों का त्योंहार,
हम मनाने आए हैं।।

जब से तुम कलकत्ता पधारे,
हो गए सबके वारे न्यारे,
प्रथम तुम्हारी होती पूजा,
तुमसे बढ़कर देव ना दूजा,
तेरे चरणों में…
तेरे चरणों में, शीश झुकाने आए हैं,
दीपों का त्योंहार,
हम मनाने आए हैं।।

रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता,
भक्तों के तुम भाग्य विधाता,
शुभ और लाभ को देने वाले,
भक्तों के दुःख को हरने वाले,
अपनी किस्मत को,
अपनी क़िस्मत को, चमकाने आए हैं,
दीपों का त्योंहार,
हम मनाने आए हैं।।

नए साल का बही और खाता,
तेरे नाम पे लक्ष्मी दाता,
तेरे साथ शुरआत करेंगे,
सपने सारे पुरे करेंगे,
श्याम के संग में हम,
श्याम के संग में हम, भोग लगाने आए हैं।
सिद्धि विनायक गणपति को,
रिझाने आये हैं,
दीपों का त्योंहार,
हम मनाने आए हैं……..

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

छठ पूजा

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

छठ पूजा
कार्तिक पूर्णिमा

बुधवार, 05 नवम्बर 2025

कार्तिक पूर्णिमा
उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी

संग्रह