गणपती जी को प्रथम मनाना है

गणपती जी को प्रथम मनाना है,
उत्सव को सफल बनाना है,
शिव पार्वती के प्यारे को,
भक्तों के बीच बुलाना है।।

गणपती को प्रथम मनाने की,
देवों ने रीत चलाई है,
तीनो लोक में छोटे या हो बड़े,
सब करते इनकी बड़ाई है।।

कोई पान और फूल चढ़ाते है,
कोई लड्डू का भोग लगाते है,
कोई मेवा थाल सजाते है,
कोई छप्पन भोग लगाते है।।

उत्सव में सभी पधारे है,
बस इनका आना बाकी है,
अरे भक्तों मंगलाचार करो,
देवा ने आने की हां की है ।।

Author: Unknown Claim credit

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