गौरा के लाल एकदंत कहलाते

देवा देवा, देवा देवा,
देवा देवा, देवा देवा,
संत ऋषि मुनि तेरे, करते हैं सेवा,
लडुवन का भोग चडे, भाए नहीं मेवा,
देवा देवा, देवा देवा,
देवा देवा, देवा देवा।

गौरा के लाल, एकदंत कहलाते,
ध्यान धरे तुझको तो, काम बन जाते,
जीवन की नैया को मेरे है खेवा,
लडुवन का भोग चडे, भाए नहीं मेवा,
देवा देवा, देवा देवा,
देवा देवा, देवा देवा।

मुषक सवारी, महादेव के दुलारे,
शुभ कार्य मे पहले, आके पधारे,
गौरा है माता पिता महादेवा,
लडुवन का भोग चडे, भाए नहीं मेवा,
देवा देवा, देवा देवा,
देवा देवा, देवा देवा।

अंधे को आंख देत, कोढीन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया,
हाथ तेरे नाम का मै बाँधु कलेवा,
लडुवन का भोग चडे, भाए नहीं मेवा,
देवा देवा, देवा देवा,
देवा देवा, देवा देवा।

Author: Unknown Claim credit

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