मूषक पर होकर सवार, देवा घर घर आये है आज,
सारे शहर मे खुशियों है छाई, आये हैं आज गणपति महाराज,
जय गणेश जय गणेश जय जय गणराज……
एक दन्त दयावन्त की मूषक है सवारी,
जाकी माता पार्वती और पिता त्रिपुरारी,
माथे सिंदूर शोभित सग विद्याधन भारी,
कृपा करो हम सब पर चार भुजा धारी,
सारी विघ्न दूर करो, हे गणपति महाराज…..
मोदक चढ़े फूल चढ़े और चढ़े हार,
गणपति बप्पा की हो रही जय जयकार,
ढोल बजे शंक बजे झन झन झंकार,
विनती विनम्र हमसब करो स्वीकार,
हरेक वर्ष विराजै गणेश,
और हम बजाए साज……
Author: Unkonow Claim credit